दिल का इक ख़्वाब दिल में दबा रह गया
मैं उसे उम्रभर चाहता रह गया,
उसके जैसा कोई भी दिखा ही नहीं
जिसकी तस्वीर मैं देखता रह गया,
शाम होते ही वो याद आने लगा
फिर उसे रातभर सोचता रह गया,
मुझसे मिलने वो आया चला भी गया
शह्र में मैं उसे ढूंढ़ता रह गया,
उसके बारे में अब याद कुछ भी नहीं
एक बस याद उसका पता रह गया,
वो किसी के फ़लक का सितारा बना
मैं दुआ में जिसे मांगता रह गया।।
# अतुल कन्नौजवी
बेहतरीन ग़ज़ल।
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर सादर प्रणाम, आपका आशीष मिला, हृदय से आभार
हटाएं