मंगलवार, जनवरी 26, 2021

Poetry on "Kisan Andolan": जिसने देखा लालकिले का मंजर है

Poetry on "Kisan Andolan": जिसने देखा लालकिले का मंजर है
प्रतीक चित्र। साभार: गूगल

मित्रों, लालकिले की तस्वीरें देखिए, ये हिंसा के बीज बोने वाले किसान नहीं हो सकते। हमारे वरिष्ठ कवि दिनेश जी की पंक्तियां हैं-

हमेशा तन गए आगे जो तोपों की दहानों के
कोई कीमत नहीं होती है प्राणों की जवानों के
बड़े लोगों की औलादें तो कैंडल मार्च करती हैं
जो अपनी जान देते हैं वो बेटे हैं किसानों के।। - दिनेश रघुवंशी

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मंजर देखकर लिखीं गईं पंक्तियां By Atul kannaujvi

गमले में कुछ खार खिले का मंजर है 
अपनी ही तहसील जिले का मंजर है 
दिल रोया और आग जली है सीने में 
जिसने देखा लालकिले का मंजर है।

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बेहतर ढंग से शायद पला नहीं होगा
ये वो सिक्का है जो चला नहीं होगा
तोड़फोड़ कर मारपीट करने वाले
ऐसी हरकत से कुछ भला नहीं होगा।।

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और अंत में एक मुक्तक काफी पहले लिखा था, आपकी नज्र करता हूं...

फलक में चांद तारे भी इसी हैरत में डूबे हैं 
समंदर के किनारे भी इसी हैरत में डूबे हैं, 
गुरू गुड़ रह गए चेला हुए शक्कर भला कैसे 
उधर अन्ना हजारे भी इसी हैरत में डूबे हैं।। - अतुल 

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