बुधवार, अप्रैल 27, 2011

वो गली फिर दूसरी होगी..

नहीं लगता मुझे हालत पे कुछ बात भी होगी,
अभी तो रहनुमा झगड़ेंगे बैठक खत्म ये होगी.

कभी तब्दीलियाँ आयी न आएँगी व्यवस्था में 
कमाएगी नदी झोली समंदर की भरी होगी.

खबर मरने की जिसकी आज अखबारों में आयी है
हजारों बार वो मरने से पहले भी मरी होगी.

ये माना अब तलक तूने कई रातें गुजारी हैं,
मगर हर रात आने वाली फिर भी अजनबी होगी.

बड़े मजबूत दिलवाला है तू अब तक नहीं फिसला,
मगर दिल में किसी दिन बात ऐसी आ गई होगी.

निकलता देर से लेकिन पहुँच जाता है तू पहले
गुजरता है तू जिससे वो गली फिर दूसरी होगी..

मंगलवार, अप्रैल 19, 2011

ज़माने गुजर गए.

जब वो मेरे करीब से हंसकर गुजर गए,
कुछ खास दोस्तों के भी चेहरे उतर गए. 

वो हंस दिए तो रात संवारती चली गयी,
जुल्फें बिखेर दीं तो उजाले निखर गए.

अफ़सोस डूबने की तमन्ना ही रह गई,
तूफ़ान जिंदगी में आये गुजर गए.

कोई हमें बताये हम क्या जवाब दें,
मंजिल ये पूछती है की साथी किधर गए.

हालाँकि उनको देख के पलटी ही थी नजर,
अफ़सोस ये हुआ कि ज़माने गुजर गए.

रविवार, अप्रैल 10, 2011

हमारी धडकनों को उसने कितने काम सौंपे हैं..

बनाई सृष्टी ईश्वर ने तो कितना ध्यान रक्खा था,
की हर शै में कोई सपना कोई अरमान रक्खा था.
मुहब्बत नाम से चेहरा कोई वो दे नहीं पाया,
तो उसने प्यार का उनवान ही इन्सान रक्खा था
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धरा पर उस बड़े फनकार की कारीगरी हम हैं,
ये दुनिया है विधाता की तो इसकी जिंदगी हम हैं.
दिया उसने जो हमको और किसके पास है बोलो,
की उस शायर की सबसे खूबसूरत शायरी हम हैं.
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हमारी जिन्दगी को उसने सुबहो शाम सौंपे हैं,
हमारी जिन्दगी को प्यार के पैगाम सौंपे हैं.
दया, करुणा, मुहब्बत एक दूजे के लिए मिटना, 
हमारी धडकनों को उसने कितने काम सौंपे हैं..
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यहाँ पर, क्या यहाँ पर, राम या रहमान रहते हैं?
इसी धरती पे क्या मालिक तेरे अरमान रहते हैं?
यहाँ पर हर तरफ शैतान का साम्राज्य फैला है,
यहाँ क्या वाकई में रब तेरे इन्सान रहते हैं..