गुरुवार, जनवरी 28, 2021

वो सर पर हाथ रखकर सौ बलाएं टाल देती है

नमस्ते दोस्तों, कुछ कुछ पंक्तियां सालों पहले की लिखी मेल के ड्राफ्ट में दर्ज थीं। आज देखीं तो सोचा कि इन्हें ठीकठाक आकार में ढालकर शेर बनाया जाए। करीब दस मिनट की मशक्कत के बाद ये तीन कुछ मिसरे हो सके। अखबार में काम करता हूं। इस समय आॅफिस जाने का अलार्म बज उठा है। इसलिए अब और अधिक घर पर कंप्यूटर स्क्रीन के सामने नहीं बैठ सकता। लिहाजा जितना लिख सका, उतना अभी पोस्ट कर देता हूं।  उम्मीद करता हूं कि आप सबको पसंद आएंगे।

Poem on mother, mother poetry

कोई कीमत नहीं उस मां के तोहफे की, जो बेटों को
दुआओं में जनमदिन पर हजारों साल देती है

मैं घर से जब भी निकलूं मां हमेशा मेरे थेले में
जो कुछ भी भूल जाता हूं वो चीजें डाल देती है

न जाने कौन सी जादूगरी है मां के हाथों में
वो सर पर हाथ रखकर सौ बलाएं टाल देती है।। # अतुल कन्नौजवी



मंगलवार, जनवरी 26, 2021

Poetry on "Kisan Andolan": जिसने देखा लालकिले का मंजर है

Poetry on "Kisan Andolan": जिसने देखा लालकिले का मंजर है
प्रतीक चित्र। साभार: गूगल

मित्रों, लालकिले की तस्वीरें देखिए, ये हिंसा के बीज बोने वाले किसान नहीं हो सकते। हमारे वरिष्ठ कवि दिनेश जी की पंक्तियां हैं-

सोमवार, जनवरी 25, 2021

Love shayari|| तेरी झूठी कहानी में मेरा किरदार सच्चा था

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प्रतीक चित्र।

अतुल कन्नौजवी

शुरू होती है जब दहलीज सावन के महीने की
वो इक आदत सी पड़ जाती है उन आंखों से पीने की
मुहब्बत तोड़कर दिल जब हमें कमजोर करती है
खुदा हमको नई ताकत भी दे देता है जीने की।।

ये किस दहलीज और दीवार पे सर मारता हूं मैं
क्यों अपने आप को गम में डुबोकर मारता हूं मैं
अगर पत्थर का दिल सीने में है तेरे तो सुन भी ले
तू मेरी राह का पत्थर है, ठोकर मारता हूं मैं।। 
                                                      
एक मत्ला और दो शेर हाज़िर हैं...
हर इक सामान झूठा था मगर बाजार सच्चा था
कहा जाता था आईना हर इक अखबार सच्चा था,

मोहब्बत करके ये अक्सर बिछडकर सोचते हैं लोग
खराबी किसमें थी ना जाने किसका प्यार सच्चा था,

अकेले में पढोगे जब किसी दिन तब ये समझोगे
तेरी झूठी कहानी में मेरा किरदार सच्चा था।।

हिंदी गज़ल|| मुहब्बत कौन करता है दिखावा कौन करता है

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हिंदी गज़ल|| Hindi Gazal

अगर मुमकिन नहीं है फिर ये दावा कौन करता है
कोई भी फैसला उसके अलावा कौन करता है

उन्हें तो छींक पर भी दाद मिलती है जमाने की
हमारे शेर पर वाह—वाह, वा—वा कौन करता है

किया है इश्क मैंने इसलिए मालूम है सबकुछ
मुहब्बत कौन करता है दिखावा कौन करता है।।
                
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तितलियां उड़ने लगीं कुछ गुलाब उड़ने लगे
हवा चली तो इन आंखों के ख्वाब उड़ने लगे

मिलाकर हाथ वो आए हैं कुछ परिंदों से
असर तो देखिए आली जनाब उड़ने लगे।।

सहर में जुगनू तो थककर जमीं पे बैठ गए
बुझे चराग तो कुछ आफताब उड़ने लगे।। 
                                          #Atulkannaujvi

रविवार, जनवरी 24, 2021

Cute Love Shayari For Girlfriend-Boyfriend, Best Love Sms Quotes: मोहब्बत इश्क का मुजरिम यहां सारा जमाना है..

- अतुल कन्नौजवी

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Cute Love Shayari For Girlfriend-Boyfriend, Best Love Sms Quotes

सजा से तुम नहीं डरना मेरा दिल कैदखाना हैमो
हब्बत इश्क का मुजरिम यहां सारा जमाना है,
सनम तुमने अगर मुझसे कभी जो वेबफाई की
तुम्हें तारीख पर दिल की अदालत रोज आना है।।

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जमीं पर हूूं मगर ख्वाहिश हमारी आसमानी है
इसे तुम गौर से सुनना मोहब्बत की कहानी है
जिसे चाहा, नहीं हासिल हुआ तो क्या गिला करना
मेरी आंखों में ये आंसू नसीबों की निशानी है।।
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मुहब्बत में जो अपनी जीत को भी हार कर लेगा
उसे मेरी तरह कोई भला क्या प्यार कर लेगा
यकीनन बेवफा है वो, मगर ये भी हकीकत है
अगर वो लौट आए, दिल उसे स्वीकार कर लेगा।। 

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Love Shayari in Hindi || तुम्हारी मुस्कुराहट को गजल हमने बनाया है...

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प्रतीक चित्र।


Love Shayari in Hindi

मुहब्बत में तुम्हारा ही लबों पर नाम आया है,
भ्रमर की गुनगुनाहट का कली पर रंग छाया है।
यहां हर बज्म तेरे नाम से गुलजार होती है,
तुम्हारी मुस्कुराहट को गजल हमने बनाया है।।
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तुम्हारे साथ जो गुजरे वो लम्हे हम नहीं भूले,
मिलन की वो घडी और फिर विरह के गम नहीं भूले,
ये बरसों बाद जाना है मोहब्बत का सबब मैंने,
हमें भी तुम नहीं भूले, तुम्हें भी हम नहीं भूले...

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फकत मेरे ​सिवा तुमको किसी पर प्यार ना आए,
मेरे गीतों में तेरे बिन कोई अशआर ना आए,
मिलन होता रहे तब तक कि जब तक चांद तारे हैं
मोहब्बत के कलैंडर में कभी इतवार ना आए।।

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कली जब फूल बन जाए, भ्रमर तब गुनगुनाएगा,
ये गुलशन में मोहब्बत से भरे नगमे सुनाएगा।
बरस ले चाहे जितना भी ऐ बादल इस जमाने में,
नदी की प्यास तो कोई समंदर ही बुझाएगा।।

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मैं जिस राह से जाऊं वो ही तेरा भी रस्ता हो,
सुनाई दे मुझे हरपल जो दिल तेरा धड़कता हो।
मेरे हमराह बस मेरी यही छोटी सी ख्वाहिश है,
तेरी बाहों में दम निकले, कफन तेरा दुपट्टा हो।।
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मैं जब भी प्रेम लिखता हूं वफाएं छूट जाती हैं,
हसीं मौसम जो लिखता हूं फिजाएं रूठ जाती हैं,
तुम्हें बतला रहा हूं मैं स्वयं के दर्द का किस्सा,
उन्हें आवाज देता हूं सदाएं टूट जाती हैं।। 

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जमाने में मोहब्बत के नशे में चूर हैं हम भी,
नाम बदनाम हो कितना मगर मशहूर हैं हम भी,
जमीं की याद में आंसू बहाते आसमां सुन लो,
जमीं से दूर गर तुम हो, किसी से दूर हैं हम भी।।

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सजा से तुम नहीं डरना मेरा दिल कैदखाना है
मोहब्बत इश्क का मुजरिम यहां सारा जमाना है,
सनम तुमने अगर मुझसे कभी जो वेबफाई की
तुम्हें तारीख पर दिल की अदालत रोज आना है।।

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धरा की धूल हूं मैं तुम गगन के चांद तारे हो
समर्पित फूल हूं मैं, तुम प्रणय के देव न्यारे हो,
सुबह की लालिमा और भोर का सिंदूर तुम ही हो
क्षमा करना मुझे मैं भूल हूं तुम रब हमारे हो।। 


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गुरुवार, जनवरी 21, 2021

नज्म|| चांद छत पर टहलता रहा रातभर

प्रतीक चित्र।  (साभार)
-अतुुुल कन्नौजवी
रात भी रफ्ता रफ्ता गुजरने को है, 
रौशनी आसमां से उतरने को है,
बैठने फिर लगीं तितलियां फूल पर, 
खुशबू—ए—गुल फजां में बिखरने को है
जैसे मौसम बदलने को हलचल हुई, 
था अजब सा नजारा कोई जादुई
देखकर दिल मचलता रहा रातभर, 
चांद छत पर टहलता रहा रातभर।।

मसअला इश्क का है जवानी का है, 
इक अधूरी—मुकम्मल कहानी का है
इस जमीं पर हर इक झील के होंठ पर 
जो भी कतरा है दरिया के पानी का है
कैसे रहता कोई किस तरह होश में,
न भी कहकर वो थी मेरी आगोश में
बेखबर खुद से हो इश्क करने लगे
डूबकर आरजू—ए—सरफरोश में
क्या हुआ जाने ऐसा अंधेरे में भी, 
इक दिया दिल में जलता रहा रातभर।।

देखकर दिल मचलता रहा रातभर, 
चांद छत पर टहलता रहा रातभर...

ऐसी तस्वीर भी जिसके ख्वाबों में हो, 
सुर्ख लब जैसे जुंबिश गुलाबों में हो
इतनी गर्मी तेरी गर्म सांसों में थी, 
यूं लगा ये बदन आफताबों में हो
कौन रहता है दिल में न जाने तेरे, 
मन में ऐसे सवालात आते रहे
नींद आई नहीं याद करके तुझे 
कैसे—कैसे खयालात आते रहे
हसरतों के समंदर में लहरें उठीं
थामकर दिल संभलता रहा रातभर।।

देखकर दिल मचलता रहा रातभर, 
चांद छत पर टहलता रहा रातभर...
सब तो अपने मकानों में सोते रहे, 
कोई नींदों में चलता रहा रातभर,
सिलसिला ऐसा चलता रहा रातभर...।।

गज़ल|| जिंदगी देता है इक रोज मार देने को


 -अतुल कन्नौजवी

इश्क़ ही काफ़ी है इक जान वार देने को

गुजरता वक्त है सबकुछ गुजार देने को


फरिश्ते सीढ़ियां लेकर छतों पे चढते रहे
फलक से चांद सितारे उतार देने को,

अजीब खेल है दुनिया बनाने वाले का
जिंदगी देता है इक रोज मार देने को

सुकून दे दिया रातों की नींद भी दे दी
बचा ही क्या है अब तुमको उधार देने को

मैं हूं पतझड कि परिंदों से गुजारिश है मेरी
मैं आ रहा हूं मौसमे बहार देने को,

हवा खिलाफ सही फिर भी नफरतों के बीच
कहीं से कोई तो आएगा प्यार देने को

मुझे लगा कि साथ उम्रभर निभाएगा
वो मेरे पास आया इंतजार देने को

हवा में हाथ उठाते रहे कई मुफ़लिस
दुआएं दिल से मुझे बार—बार देने को

छुअन तो छोडिए मेरी नज़र ही काफ़ी है
हुस्न को तेरे जादुई निखार देने को।।

गज़ल| अब मुझे अच्छा नहीं लगता जमींदारों के बीच

शायर अतुल कन्नौजवी

- अतुल कन्नौजवी

ऐ फलक थोडी जगह मुझको भी दे तारों के बीच
अब मुझे अच्छा नहीं लगता जमींदारों के बीच

सच कई दिन तक रखा रहता है बाजारों के बीच
झूठ बिक जाता है पलभर में खरीदारों के बीच

मुल्क में हरेक सूबे में, यहां तक हर जगह
बेवकूफों की हुकूमत है समझदारों के बीच

इक बचाती जिंदगी तो दूसरी लेती है जान
फासला कितना बड़ा है ढाल—तलवारों के बीच

जैसे—जैसे रुख बदलती है हमारी जिंदगी
हम उलझते जा रहे हैं अपने किरदारों के बीच

खुशबुएं लेकर भी किस्मत की चुभन सहते हुए
गुल हमेशा मुस्कराया करते हैं खारों के बीच।।

बुधवार, जनवरी 20, 2021

(गज़ल) भोर होते ही चमक उठता हूं खिल जाता हूं मैं

जब कभी देने उसे अपना ये दिल जाता हूं मैं
इक समंदर सा नदी से जाके मिल जाता हूं मैं

ज़िस्म अपनी रूह से फरियाद ये करने लगा
तेरे जाते ही इधर मिट्टी में मिल जाता हूं मैं

नफरतों की कैंचियां मुझ पर चलें कितनी मगर
वक्त वह दर्जी है जिसके हाथ सिल जाता हूं मैं

शाम होते ही अगर मुरझा गया तो क्या हुआ
भोर होते ही चमक उठता हूं खिल जाता हूं मैं

छांव में बैठा हुआ था, पेड़ ने मुझसे कहा
आरियों को देखकर अंदर से हिल जाता हूं मैं

जब कभी उसके खयालों में उलझकर खो गया
भीड़ में इक शख्श की आंखों में मिल जाता हूं मैं।।
                                           #अतुल कन्नौजवी

मंगलवार, जनवरी 19, 2021

(गज़ल) दिल का इक ख़्वाब दिल में दबा रह गया

दूरदर्शन पर काव्य पाठ करते अतुल कन्नौजवी
दूरदर्शन पर कार्यक्रम का संचालन करते शायर अतुल कन्नौजवी
 व कार्यक्रम में शामिल अन्य शोअरा।

दिल का इक ख़्वाब दिल में दबा रह गया
मैं उसे उम्रभर चाहता रह गया,

उसके जैसा कोई भी दिखा ही नहीं
जिसकी तस्वीर मैं देखता रह गया,

शाम होते ही वो याद आने लगा
फिर उसे रातभर सोचता रह गया,

मुझसे मिलने वो आया चला भी गया
शह्र में मैं उसे ढूंढ़ता रह गया,

उसके बारे में अब याद कुछ भी नहीं
एक बस याद उसका पता रह गया,

वो किसी के फ़लक का सितारा बना
मैं दुआ में जिसे मांगता रह गया।।
                                       # अतुल कन्नौजवी

शनिवार, जनवरी 16, 2021

(गज़ल) इश्क़ में जलने लगती है मशाल आंखों में

अतुल कन्नौजवी

atulkavitagazal.blogspot.com
प्रतीकात्मक चित्र।      फोटो: साभार

पूछते क्या हो यूं लेकर सवाल आंखों में
पढ़ सको पढ़ लो मेरा सारा हाल आंखों में

देखना था कि समंदर से क्या निकलता है
बस यही सोच के फेंका था जाल आंखों में

वो मिरे सामने आती है झुकाए पलकें
हया को रखा है उसने संभाल आंखों में

ठीक हो जाती है नासाज़ तबीयत कैसे
जरूर रखती है वो अस्पताल आंखों में

वो अगर साथ है तो तीरगी से क्या डरना
इश्क में जलने लगती है मशाल आंखों में।।
  

गुरुवार, जनवरी 14, 2021

अब लगता है कुछ दिन पहले की दुनिया कितनी बेहतर थी...


अतुल कन्नौजवी

हे मनुष्यता के प्रतिपालक हे प्रति पालक हे मनुष्यता

क्या भूल हुई क्या गलती है अब क्षमा करो हे परमपिता।


अब राह दिखाओ दुनिया को मुश्किल सबकी आसान करो

हे कायनात के संचालक सारे जग का कल्याण करो।


ये कैसी विपदा है भगवन कैसा ये शोर धरा पर है

जो सदियों से जीवित है अब संकट उस परम्परा पर है।


जग त्राहि माम कर बैठा है नेतृत्व विफल है प्राणनाथ

शाखों के परिंदों को अपने इन्द्रियातीत मत कर अनाथ।


हे दसों दिशाओं के मालिक शहरों और गांवों के मालिक

आकाश में सूरज के मालिक धरती पर छांवों के मालिक।


साष्टांग दंडवत हूं महेश ये अन्न प्रलय अब रुक जाए

हे ब्रह्मलीन हे ब्रह्म तत्व के देवालय अब रुक जाए।


कितनी सुंदर रचना की है दुनिया की ये मिट न जाए

कण—कण से मेरी विनती है ये महाप्रलय अब रुक जाए।।

             *********

बेबस हैं हम हे विश्वनाथ आह्वान आपका करते हैं

हर वस्तु यहां संदिग्ध लगे स्पर्श मात्र से डरते हैं।


अब विघ्न हरो हे महादेव देवाधिदेव हे जगदीश्वर

संकट में सारी पृथ्वी है अब आ जाओ आओ ईश्वर।


मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा और गिरिजाघर भी हैं बंद यहां

खारा है सलिल वायु की गति पड़ चुकी बहुत ही मंद यहां।


हे शक्तिपीठ हे भवप्रीता हे शूलधारिणी महातपा

हे रौद्रमुखी हे बहुलप्रिया हे पुरूषाकृति हे चामुंडा।


इक प्रश्न आज अस्तित्व और दुनिया की परम्परा पर है

हे आदिनाथ हे आदिशक्ति संकट इस वसुंधरा पर है।


मानव सभ्यता सशंकित है ये सारा भय अब रुक जाए

नित प्रतिपल होने वाला ये जीवन का क्षय अब रुक जाए


हे कृपानिधान परमसत्ता हे सृष्टि रचयिता परमतत्व

कण—कण से मेरी विनती है ये महाप्रलय अब रुक जाए।।

                ***********

आकाश पड़ गया है काला धरती पर इसकी छाया है

संकेत सृष्टि का है अथवा ये काल चक्र की माया है।


हर तरफ मौत का साया है सारी दुनिया संकट में है

तू तो कहता है हे ईश्वर अस्तित्व तेरा कण कण में है।


घर में बैठे हैं लोग आज देखो कितनी फुर्सत में हैं

सड़कों पर बिखरा सन्नाटा पशु पक्षी भी हैरत में हैं।


इन्द्रियां नियंत्रित हैं जीवन साधक समकक्ष बदल डाला 

इस बीमारी ने लोगों के जीवन का लक्ष्य बदल डाला।


सब असंतुष्ट थे व्याकुल थे बेचैनी सबके अन्दर थी 

अब लगता है कुछ दिन पहले की दुनिया कितनी बेहतर थी।


हे महापिता डर खत्म करो ये क्रूर समय अब रुक जाए

हे आदितत्व के संचालक पंचत्व निलय अब रुक जाए।


ये करुण प्रार्थना है जग की ईश्वर इसको स्वीकार करो

कण से मेरी विनती है ये आपदा प्रलय अब रुक जाए।।

आप इस कविता को इस लिंक पर क्लिक करके सुन भी सकते हैं 

https://youtu.be/9RhAyBXDKxk


(गज़ल) कतरे को भी दरिया बोला जाता है...


इश्क में मुझको क्या क्या बोला जाता है
बेबी बाबू सोना बोला जाता है

लाख सितारों में भी चमक उसी की है
तभी चांद को तन्हा बोला जाता है

बगैर तेरे अब तो जीना मुश्किल है
प्यार में अक्सर ऐसा बोला जाता है

इश्क जिंदगी में चाहे कितने भी कर
लेकिन सबको पहला बोला जाता है

सहराओं में प्यास बुझाने की खातिर
कतरे को भी दरिया बोला जाता है

इश्क में तब हैरानी होती है मुझको
जब बूढों को बच्चा बोला जाता है।।
                                                 (अतुल कन्नौजवी)

सोमवार, जनवरी 11, 2021

हर इक राधा की आंखों में घनश्याम दिखाई देता है...

जो खुद से ज्यादा प्यार करे, आंखों से दिल पर वार करे
जिसकी हर अदा निराली हो, जो डर—डर के इज़हार करे
नाजुक हथेलियों पर उसका ही नाम दिखाई देता है
हर इक राधा की आंखों में घनश्याम दिखाई देता है...

जब नज़र नज़र से मिलती है धड़कन में इजाफ़ा होता है
चढ़ता है रंग इश्क का जब, यौवन में इजाफ़ा होता है
यूं बुरी नज़र न लगे तभी, चेहरे पर तिल आ जाता है
वो बहुत खूबसूरत लगता है, जिस पर दिल आ जाता है
फिर उसका चेहरा ख्वाब में सुब्हो—शाम दिखाई देता है...

हर इक राधा की आंखों में घनश्याम दिखाई देता है...

जब ख्वाबों में हो आसमान, तब कहती है दिल की जमीन
वो दिलनशीन, सबसे हसीन, बस वो ही इक जलवानशीन
बिखरी—बिखरी ज़ुल्फ़ों को जब किस्मत की तरह संवारूं तो
जब आईना बनकर उसका अपलक रंग रूप निहारूं तो
जादू जैसी आंखों से छलकता जाम दिखाई देता है...

हर इक राधा की आंखों में घनश्याम दिखाई देता है...।।