शनिवार, जून 09, 2012

रहता हूँ आजकल मैं मोहब्बत के शहर में.

- अतुल कुशवाह  
सन्देश बनके आया हूँ मैं ख़त के शहर में,
रहता हूँ आजकल मैं मोहब्बत के शहर में.

फूलों से जो निकली है वो खुशबू भी साथ है,
हूँ सादगी के साथ अदावत के शहर में.

हैं लोग सब अपने यहाँ कोई न पराया.
रहता है बनके सुख यहाँ दुःख-दर्द का साया,

हो यकीं गर ना तो खुद आकर के देख लो,
मौजों की रवानी है इस फुरसत के शहर में...