मंगलवार, अक्तूबर 02, 2012

''अतीत की आंधी''

- अतुल कुशवाह
अतीत की आंधी
कोई मुझे बताए
मैं क्या करूं
मेरे वर्तमान से टकराता है
मेरा अतीत,
यह अतीत ठीक वैसा है
जैसे कोई काली आंधी
भरी दोपहर की गर्मी में
बारिश के साथ ठंडक का
सुख और चीजें नेस्तनाबूद कर
दुख भी दे जाती है
मेरे अतीत की आंधी
वर्तमान की मुंडेर पर रखे
मन के छप्पर को हिलाकर
रख देती है,
कोई तो बताए कि
आज का वर्तमान
और कल का अतीत
ऐसी ही आंधी बनकर
भविष्य के छप्पर को
उड़ाकर ले जाने की
चेष्टा में तो नहीं होगा...
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