मंगलवार, मार्च 13, 2012

लो.. समंदर हो गया हूं मैं

बुझा लो प्यास जितनी हो
लो.. समंदर हो गया हूं मैं,
उजालों की सुहानी बज्म में
फिर से सिकंदर हो गया हूं मैं,
कहो क्या हाल हैं उनके, जिन्होंने
शूल राहों में मेरी फेंके थे,
खबर उनको जरा ये कर देना
कांटों के बीच रहकर के,
लो फूल हो गया हूं मैं...
बुझा लो प्यास जितनी हो,
लो.. समंदर हो गया हूं मैं।। - अतुल कुशवाह