हिंदी गज़ल|| Hindi Gazal
अगर मुमकिन नहीं है फिर ये दावा कौन करता है
कोई भी फैसला उसके अलावा कौन करता है
उन्हें तो छींक पर भी दाद मिलती है जमाने की
हमारे शेर पर वाह—वाह, वा—वा कौन करता है
किया है इश्क मैंने इसलिए मालूम है सबकुछ
मुहब्बत कौन करता है दिखावा कौन करता है।।
-----------------------------------------------
तितलियां उड़ने लगीं कुछ गुलाब उड़ने लगे
हवा चली तो इन आंखों के ख्वाब उड़ने लगे
मिलाकर हाथ वो आए हैं कुछ परिंदों से
असर तो देखिए आली जनाब उड़ने लगे।।
सहर में जुगनू तो थककर जमीं पे बैठ गए
बुझे चराग तो कुछ आफताब उड़ने लगे।।
#Atulkannaujvi
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें