रविवार, फ़रवरी 27, 2011

कोई दीवाना कहता है.. सच ही तो कहता है


युवा कवि और आज के श्रेष्ठ गीतकार कुमार विश्वाश की ये रचना मुझे बेहद पसंद आई... 
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !!
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है !
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!

मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है !
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !!
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं !
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!

समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नही सकता !
यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नही सकता !!
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले !
जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता !!

भ्रमर कोई कुमुदुनी पर मचल बैठा तो हंगामा!
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा!!
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का!
मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा तो हंगामा!!

सोमवार, फ़रवरी 21, 2011

दुआ करता हूँ ...

अंतरिक्ष के गहरे समन्दरों में 
यदि कही कोई है द्वीप 
जहाँ कोई सांस ले रहा है 
जहाँ कोई दिल धड़क रहा है 
जहाँ बुद्धिमत्ता ने पी लिया है ज्ञान का घूँट 
जहाँ के लोग 
अंतरिक्ष के गहरे समन्दरों में 
किसी द्वीप की तलाश में उतर दे जहाज...
जहाँ कोई सांस ले रहा है 
जहाँ कोई दिल धड़क रहा है...
दुआ करता हूँ 
कि उस द्वीप के बासिंदों का रंग 
इस द्वीप पर रहने वाले 
सभी जिस्मो से भिन्न हो 
रूप भी भिन्न हो और अलग हो शक्लोसूरत भी 
दुआ करता हूँ ...
यदि उनका भी है कोई मजहब 
तो इस द्वीप के मजहबों से भिन्न हो 
दुआ करता हूँ.. उनकी जुबान भी 
इस द्वीप कि सब जुबानो से भिन्न हो 
दुआ करता हूँ अंतरिक्ष के गहरे समन्दरों से 
गुजर के इक दिन 
उस अजनबी नस्ल वाले लोग 
अंतरिक्ष के जहाजों में सवार होकर 
इस द्वीप तक आयें, 
हम उनके मेजबाँ हों 
हम उन्हें हैरत से देखें 
तभी, ...वो पास आकर हमें इशारों से ये बताएं 
कि उनसे हम इतने अलग हैं कि उनको लगता है 
इस द्वीप के रहने वाले सब एक से हैं,...
दुआ करता हूँ कि 
इस द्वीप के रहने वाले लोग 
उस अजनबी नस्ल के कहे का यकीन कर लें.. .
दुआ करता हूँ.....!

बुधवार, फ़रवरी 16, 2011

चटकते सम्बन्ध दरकता विश्वाश


चटकते सम्बन्ध
दरकता विश्वाश
आदमी से ही आदमी निराश
गुंडों के शरीर
झूलती खद्दर
इंसानियत नंगी चौराहे पर आज
अच्छे लोग घाट लग गए
बुरे दिल्ली पहुँच गए
भगवान् के आगे खुद को
अवतार बता रहे हैं
कुछ धार्मिक लोग
गुरु ही लूटने लगे हैं अस्मत हर रोज़
मेरी समझ में नहीं आता
इनकी मंशा क्या है
ये चाहते क्या हैं दोस्त
ये चाहते क्या हैं...

गुरुवार, फ़रवरी 10, 2011

इन नेताओं से अच्छे...



मुझे इन नेताओं से अच्छे
ये सूअर के बच्चे लगे ,
जो रोजाना मेरी गली तो
घूम जाते हैं और अपने
स्तर से गन्दगी खाकर
कुछ तो साफ़ कर जाते हैं,
लेकिन वो कमबख्त आएगा सिर्फ़
चुनाव के वक्त बस वोट मांगने
और ये सफाई देने की
मैं सूअर से अच्छा हूँ
और कुछ नहीं॥

मंगलवार, फ़रवरी 08, 2011

अंधेरों तक चलो वर्ना



आज भरी दोपहर
बीच चौराहे पर
मैंने अपनी परछाइयों के
पैर पकड़ कर साफ़ कह दिया
की मेरे पीछे -पीछे मत आओ
साथ ही चलना है तो
अंधेरों तक चलो वर्ना
बेहतर है की ये सफर मुझे
अकेले ही पूरा करने दो।।

रविवार, फ़रवरी 06, 2011

ये देश अंग्रेजों तुम्ही चलाओ..


हर साँस पर धर्म की बातें
हर हिचकी पर
जाति का जिक्र
पता नहीं उन्हें क्या हो गया है.......
खून पीने के एक शौक ने
उन्हें आदमी से
आदमखोर क्या बनाया
दंगा उनके लिए त्यौहार बन गया है........
लो फ़िर शहर में कर्फ्यू
सड़क सन्नाटे में
गलियों में गुर्गे
दरवाजों पर दहशत
देखते ही
गोली मारने का आदेश
सरकारी जुमला
स्थिति तनावपूर्ण
किंतु नियंत्रण में ........
कराह उठे कब्र के लोग तक
ये कहके
बेहतर है
ये देश अंग्रेजों तुम्ही चलाओ........

शनिवार, फ़रवरी 05, 2011

मेरी प्रार्थना में


हे प्रभु !मेरी प्रार्थना में
गरीबों को अनदेखा करने वाली
आँखों की पुतलियाँ फट जायें......
घूंस लेने वाले हाथ
कोहनी तक गल जायें...........
असहायों की चीख न सुनने वाले
कानो के परदे
दिमाग तक सड़ जायें .......
किसी मजबूर के सामने
पत्थर के माफिक
अपने में सक्षम -समर्थ
साहब और सरकार का
जो भ्रम पाल बैठे हैं
उनकी औलादें मर जायें .......
हे प्रभु ! मेरी प्रार्थना में
तेरे विश्वास पर
तुझसे न्याय की प्रतीक्षा में
जो आज भी
भूंखे-नंगे बैठे हैं
तू उनके लिए जगह छोड़
आब उन्हें भी मौका दे
एक बार वे भी भगवान् बन जायें.........