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प्रतीक चित्र। |
मुहब्बत में तुम्हारा ही लबों पर नाम आया है,
भ्रमर की गुनगुनाहट का कली पर रंग छाया है।
यहां हर बज्म तेरे नाम से गुलजार होती है,
तुम्हारी मुस्कुराहट को गजल हमने बनाया है।।
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तुम्हारे साथ जो गुजरे वो लम्हे हम नहीं भूले,
मिलन की वो घडी और फिर विरह के गम नहीं भूले,
ये बरसों बाद जाना है मोहब्बत का सबब मैंने,
हमें भी तुम नहीं भूले, तुम्हें भी हम नहीं भूले...
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फकत मेरे सिवा तुमको किसी पर प्यार ना आए,
मेरे गीतों में तेरे बिन कोई अशआर ना आए,
मिलन होता रहे तब तक कि जब तक चांद तारे हैं
मोहब्बत के कलैंडर में कभी इतवार ना आए।।
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कली जब फूल बन जाए, भ्रमर तब गुनगुनाएगा,
ये गुलशन में मोहब्बत से भरे नगमे सुनाएगा।
बरस ले चाहे जितना भी ऐ बादल इस जमाने में,
नदी की प्यास तो कोई समंदर ही बुझाएगा।।
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मैं जिस राह से जाऊं वो ही तेरा भी रस्ता हो,
सुनाई दे मुझे हरपल जो दिल तेरा धड़कता हो।
मेरे हमराह बस मेरी यही छोटी सी ख्वाहिश है,
तेरी बाहों में दम निकले, कफन तेरा दुपट्टा हो।।
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मैं जब भी प्रेम लिखता हूं वफाएं छूट जाती हैं,
हसीं मौसम जो लिखता हूं फिजाएं रूठ जाती हैं,
तुम्हें बतला रहा हूं मैं स्वयं के दर्द का किस्सा,
उन्हें आवाज देता हूं सदाएं टूट जाती हैं।।
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जमाने में मोहब्बत के नशे में चूर हैं हम भी,
नाम बदनाम हो कितना मगर मशहूर हैं हम भी,
जमीं की याद में आंसू बहाते आसमां सुन लो,
जमीं से दूर गर तुम हो, किसी से दूर हैं हम भी।।
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सजा से तुम नहीं डरना मेरा दिल कैदखाना है
मोहब्बत इश्क का मुजरिम यहां सारा जमाना है,
सनम तुमने अगर मुझसे कभी जो वेबफाई की
तुम्हें तारीख पर दिल की अदालत रोज आना है।।
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धरा की धूल हूं मैं तुम गगन के चांद तारे हो
समर्पित फूल हूं मैं, तुम प्रणय के देव न्यारे हो,
सुबह की लालिमा और भोर का सिंदूर तुम ही हो
क्षमा करना मुझे मैं भूल हूं तुम रब हमारे हो।।
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