शायर अतुल कन्नौजवी
कविता-शायरी का एक ठिकाना
गुरुवार, सितंबर 29, 2011
मैं घर पानी के रहता हूँ..
मैं लेकर जिस्म मिटटी का, मैं घर पानी के रहता हूँ,
मंजिल मौत है मेरी सफ़र हर रोज़ करता हूँ
क़त्ल होना है मेरा ये मुझे मालूम है लेकिन,
नहीं मुझको खबर किसके निशाने में मैं रहता हूँ.
- अतुल
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