सोमवार, फ़रवरी 21, 2011

दुआ करता हूँ ...

अंतरिक्ष के गहरे समन्दरों में 
यदि कही कोई है द्वीप 
जहाँ कोई सांस ले रहा है 
जहाँ कोई दिल धड़क रहा है 
जहाँ बुद्धिमत्ता ने पी लिया है ज्ञान का घूँट 
जहाँ के लोग 
अंतरिक्ष के गहरे समन्दरों में 
किसी द्वीप की तलाश में उतर दे जहाज...
जहाँ कोई सांस ले रहा है 
जहाँ कोई दिल धड़क रहा है...
दुआ करता हूँ 
कि उस द्वीप के बासिंदों का रंग 
इस द्वीप पर रहने वाले 
सभी जिस्मो से भिन्न हो 
रूप भी भिन्न हो और अलग हो शक्लोसूरत भी 
दुआ करता हूँ ...
यदि उनका भी है कोई मजहब 
तो इस द्वीप के मजहबों से भिन्न हो 
दुआ करता हूँ.. उनकी जुबान भी 
इस द्वीप कि सब जुबानो से भिन्न हो 
दुआ करता हूँ अंतरिक्ष के गहरे समन्दरों से 
गुजर के इक दिन 
उस अजनबी नस्ल वाले लोग 
अंतरिक्ष के जहाजों में सवार होकर 
इस द्वीप तक आयें, 
हम उनके मेजबाँ हों 
हम उन्हें हैरत से देखें 
तभी, ...वो पास आकर हमें इशारों से ये बताएं 
कि उनसे हम इतने अलग हैं कि उनको लगता है 
इस द्वीप के रहने वाले सब एक से हैं,...
दुआ करता हूँ कि 
इस द्वीप के रहने वाले लोग 
उस अजनबी नस्ल के कहे का यकीन कर लें.. .
दुआ करता हूँ.....!

2 टिप्‍पणियां:

  1. सच्चे मन की सच्ची और बहुत अच्छी कामना - अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई तथा शुभकामनाएं

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  2. उत्साह बढ़ाने के हार्दिक आभार राकेश जी..
    सादर...अतुल

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