चटकते सम्बन्ध
दरकता विश्वाश
आदमी से ही आदमी निराश
गुंडों के शरीर
झूलती खद्दर
इंसानियत नंगी चौराहे पर आज
अच्छे लोग घाट लग गए
बुरे दिल्ली पहुँच गए
भगवान् के आगे खुद को
अवतार बता रहे हैं
कुछ धार्मिक लोग
गुरु ही लूटने लगे हैं अस्मत हर रोज़
मेरी समझ में नहीं आता
इनकी मंशा क्या है
ये चाहते क्या हैं दोस्त
ये चाहते क्या हैं...
चटकते सम्बन्ध
जवाब देंहटाएंदरकता विश्वाश
आदमी से ही आदमी निराश
गुंडों के शरीर
झूलती खद्दर
इंसानियत नंगी चौराहे पर आज
अच्छे लोग घाट लग गए
बुरे दिल्ली पहुँच गए.....
सच्चाई को वयां करती हुई सुन्दर रचना के लिए बधाई।
Thanks a lot to join us Sharad ji..Atul
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