मंगलवार, फ़रवरी 08, 2011

अंधेरों तक चलो वर्ना



आज भरी दोपहर
बीच चौराहे पर
मैंने अपनी परछाइयों के
पैर पकड़ कर साफ़ कह दिया
की मेरे पीछे -पीछे मत आओ
साथ ही चलना है तो
अंधेरों तक चलो वर्ना
बेहतर है की ये सफर मुझे
अकेले ही पूरा करने दो।।

4 टिप्‍पणियां:

  1. बिल्कुल सही कहा तुमने दोस्त डर तो अंधेरों से ही लगता है न ? जब वही कोई साथ न दे तो फिर केसा साथ !
    खुबसूरत अंदाज़ !

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  2. शब्द पुष्टिकरण हटा दें तो टिप्पणी करने में आसानी होगी ..धन्यवाद
    वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
    डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया

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  3. "मैंने अपनी परछाइयों के
    पैर पकड़ कर साफ़ कह दिया"

    बहुत खूब

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