रविवार, अप्रैल 10, 2011

हमारी धडकनों को उसने कितने काम सौंपे हैं..

बनाई सृष्टी ईश्वर ने तो कितना ध्यान रक्खा था,
की हर शै में कोई सपना कोई अरमान रक्खा था.
मुहब्बत नाम से चेहरा कोई वो दे नहीं पाया,
तो उसने प्यार का उनवान ही इन्सान रक्खा था
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धरा पर उस बड़े फनकार की कारीगरी हम हैं,
ये दुनिया है विधाता की तो इसकी जिंदगी हम हैं.
दिया उसने जो हमको और किसके पास है बोलो,
की उस शायर की सबसे खूबसूरत शायरी हम हैं.
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हमारी जिन्दगी को उसने सुबहो शाम सौंपे हैं,
हमारी जिन्दगी को प्यार के पैगाम सौंपे हैं.
दया, करुणा, मुहब्बत एक दूजे के लिए मिटना, 
हमारी धडकनों को उसने कितने काम सौंपे हैं..
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यहाँ पर, क्या यहाँ पर, राम या रहमान रहते हैं?
इसी धरती पे क्या मालिक तेरे अरमान रहते हैं?
यहाँ पर हर तरफ शैतान का साम्राज्य फैला है,
यहाँ क्या वाकई में रब तेरे इन्सान रहते हैं.. 

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