जिन्दगी और जमाने की कशमकश से
घबरा कर मेरे लड़के मुझसे पूछते हैं,
"हमें पैदा क्यों किया था?"
और मेरे पास इसके सिवा
कोई जवाब नहीं है
कि मेरे बाप ने भी मुझसे बिना पूछे
मुझे पैदा किया था,
और मेरे बाप से बिना पूछे उनके बाप ने, उन्हें
और मेरे बाबा से बिना पूछे उनके बाप ने, उन्हें...
जिन्दगी और जमाने की कशमकश
पहले भी थी,
अब भी है, शायद ज़्यादा,
आगे भी होगी, शायद और भी ज़्यादा।
तुम्हीं नई लीक धरना
अपने बेटों से पूछकर उन्हें पैदा करना॥
- डॉ. हरिवंश राय बच्चन की कविता ‘नई लीक’
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