शायर अतुल कन्नौजवी
कविता-शायरी का एक ठिकाना
सोमवार, जनवरी 31, 2011
मेरी कविता...
सत्ता के गलियारे में
बंदूकें बोएगी मेरी कविता.....
तुम्हारे पैर के
नाखूनों से खोपडी तक
बारूद धोएगी मेरी कविता.......
सरकार को बता दो -
गरीबी में जी लेगी
भूखे पेट रह लेगी
मगर-तुमसे पाँव फंसाकर
कभी नही सोयेगी मेरी कविता......
2 टिप्पणियां:
Unknown
1 फ़रवरी 2011 को 2:50 am बजे
wah kya rachna hai atul ji...
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Ehsash
1 फ़रवरी 2011 को 2:51 am बजे
bahut khoob
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wah kya rachna hai atul ji...
जवाब देंहटाएंbahut khoob
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