सोमवार, जनवरी 31, 2011

मेरी कविता...


सत्ता के गलियारे में
बंदूकें बोएगी मेरी कविता.....
तुम्हारे पैर के
नाखूनों से खोपडी तक
बारूद धोएगी मेरी कविता.......
सरकार को बता दो -
गरीबी में जी लेगी
भूखे पेट रह लेगी
मगर-तुमसे पाँव फंसाकर
कभी नही सोयेगी मेरी कविता......

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