शुक्रवार, मई 15, 2009

मेरी चाहत

'गजल'
मेरे दिल में उतर गया सूरज
अंधेरे में निखर गया सूरज.
तालीम दे हमें उजाले की,
ख़ुद अंधेरे के घर गया सूरज .
हमसे वादा था इक सबेरे का,
हाय कैसा मुकर गया सूरज.
चाँदनी अक्स चाँद आइना
आईने में संवर गया सूरज.
डूबते वक्त सुर्ख था इतना,
लोग समझे की मर गया सूरज ......



4 टिप्‍पणियां:

  1. डूबते वक्त सुर्ख था इतना,
    लोग समझे की मर गया सूरज .
    गज़ल लाजवाब है ये शेर बहुत पसंद आया शुभकामनायें

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  2. अच्छी शुरुआत है अतुल जी ......यूँ ही जारी रखें ....!!

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  3. bahut khubsurat rachna lagi atul jee....mere blog pe aapka swagat hai..

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