मंगलवार, फ़रवरी 14, 2012

तुम्हारी मुस्कुराहट को गजल हमने बनाया है

मुहब्बत में तुम्हारा ही लबों पर नाम आया है,
भ्रमर की गुनगुनाहट का कली पर रंग छाया है।
यहां हर बज्म तेरे नाम से गुलजार होती है,
तुम्हारी मुस्कुराहट को गजल हमने बनाया है।। - - अतुल कुशवाह

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