शायर अतुल कन्नौजवी
कविता-शायरी का एक ठिकाना
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गुरुवार, जनवरी 28, 2021
वो सर पर हाथ रखकर सौ बलाएं टाल देती है
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नमस्ते दोस्तों, कुछ कुछ पंक्तियां सालों पहले की लिखी मेल के ड्राफ्ट में दर्ज थीं। आज देखीं तो सोचा कि इन्हें ठीकठाक आकार में ढालकर शेर बनाया...
मंगलवार, जनवरी 26, 2021
Poetry on "Kisan Andolan": जिसने देखा लालकिले का मंजर है
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प्रतीक चित्र। साभार: गूगल मित्रों, लालकिले की तस्वीरें देखिए, ये हिंसा के बीज बोने वाले किसान नहीं हो सकते। हमारे वरिष्ठ कवि दिनेश जी की पंक...
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सोमवार, जनवरी 25, 2021
Love shayari|| तेरी झूठी कहानी में मेरा किरदार सच्चा था
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प्रतीक चित्र। अतुल कन्नौजवी शुरू होती है जब दहलीज सावन के महीने की वो इक आदत सी पड़ जाती है उन आंखों से पीने की मुहब्बत तोड़कर दिल जब हमें कमज...
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हिंदी गज़ल|| मुहब्बत कौन करता है दिखावा कौन करता है
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हिंदी गज़ल|| Hindi Gazal अगर मुमकिन नहीं है फिर ये दावा कौन करता है कोई भी फैसला उसके अलावा कौन करता है उन्हें तो छींक पर भी दाद मिलती है जमा...
रविवार, जनवरी 24, 2021
Cute Love Shayari For Girlfriend-Boyfriend, Best Love Sms Quotes: मोहब्बत इश्क का मुजरिम यहां सारा जमाना है..
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- अतुल कन्नौजवी Cute Love Shayari For Girlfriend-Boyfriend, Best Love Sms Quotes सजा से तुम नहीं डरना मेरा दिल कैदखाना हैमो हब्बत इश्क का म...
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Love Shayari in Hindi || तुम्हारी मुस्कुराहट को गजल हमने बनाया है...
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प्रतीक चित्र। Love Shayari in Hindi मुहब्बत में तुम्हारा ही लबों पर नाम आया है, भ्रमर की गुनगुनाहट का कली पर रंग छाया है। यहां हर बज्म तेरे ...
गुरुवार, जनवरी 21, 2021
नज्म|| चांद छत पर टहलता रहा रातभर
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प्रतीक चित्र। (साभार) -अतुुुल कन्नौजवी रात भी रफ्ता रफ्ता गुजरने को है, रौशनी आसमां से उतरने को है, बैठने फिर लगीं तितलियां फू...
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गज़ल|| जिंदगी देता है इक रोज मार देने को
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- अतुल कन्नौजवी इश्क़ ही काफ़ी है इक जान वार देने को गुजरता वक्त है सबकुछ गुजार देने को फरिश्ते सीढ़ियां लेकर छतों पे चढते रहे फलक से चांद स...
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गज़ल| अब मुझे अच्छा नहीं लगता जमींदारों के बीच
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- अतुल कन्नौजवी ऐ फलक थोडी जगह मुझको भी दे तारों के बीच अब मुझे अच्छा नहीं लगता जमींदारों के बीच सच कई दिन तक रखा रहता है बाजारों के बीच झूठ...
बुधवार, जनवरी 20, 2021
(गज़ल) भोर होते ही चमक उठता हूं खिल जाता हूं मैं
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जब कभी देने उसे अपना ये दिल जाता हूं मैं इक समंदर सा नदी से जाके मिल जाता हूं मैं ज़िस्म अपनी रूह से फरियाद ये करने लगा तेरे जात...
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